पिछले साल बस-ट्रेन बंद रहने से आई थी मजदूरों को परेशानी
शाजापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना महामारी की दस्तक को एक साल से ज्यादा बीत गया है। कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन तक आ गई है, लेकिन अधिकांश लोगों को अब तक टीका नहीं लग पाने से इसका खतरा बना हुआ है। महाराष्ट्र में कोरोना के कहर के चलते वहां पर काम करने वाले लोगों को अपने गंतव्य तक जाना मजबूरी हो गया है। उत्तरप्रदेश की ओर जाने वाले कई लोग हाईवे से होकर गुजर रहे हैं। काम छोड़कर आने का इन प्रवासियों को दुख तो है, लेकिन आवागमन के सभी साधन होने से इस बार यात्रा करना सुलभ है।
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more... बायपास पर इन दिनों वाहनों की आवाजाही फिर बढ़ गई है। बस, ऑटो, टैक्सी सहित अन्य वाहन ज्यादा संख्या में गुजर रहे हैं। गुजरने वाले अधिकांश वाहन महाराष्ट्र, गुजरात व उत्तरप्रदेश पासिंग हैं। अधिकांश लोग उत्तरप्रदेश जा रहे हैं। इन लोगों के आवागमन ने पिछले साल की यादें ताजा कर दी। दरअसल, पिछले साल मार्च में कोरोना का कहर बढ़ने से लाकडाउन लगाया गया था। एकाएक लगे लाकडाउन के दौरान बस, ट्रेन बंद कर दी गई थी। उद्योग, फैक्ट्रियां तक ठप हो गई थी। ऐसे में सबसे ज्यादा फजीहत उन लोगों की हुई जो कि दूसरे राज्यों से आकर महाराष्ट्र, गुजरात में काम करते थे। वहां से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने गांव व शहरों के लिए कूच किया। वाहन नहीं चलने से कई लोग निजी वाहन से तो कई लोग तो पैदल ही निकल पड़े थे। इस बार यात्रा को लेकर हालात ठीक कहे जा सकते हैं, क्योंकि अनेक लोग ट्रेनों से अपने गंतव्य तक जा रहे हैं तो कई लोग वीडियो कोच के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं। वहीं निजी, टैक्सी, ऑटो आदि से भी लोग यात्रा कर रहे हैं।
पिछली बार जान जोखिम में डालकर यात्रा की थी
अपने परिवार के साथ चार पहिया वाहन में कानपुर जा रहे सुरेंद्र वशिष्ठ बायपास पर स्वल्पाहार के लिए रुके थे। उन्होंने बताया कि पिछले साल मुंबई में कोरोना फैला तो हमें ट्रक में बैठकर यात्रा करना पड़ी थी। ट्रक में क्षमता से ज्यादा लोग बैठे थे। बावजूद इसके पैसे भी ज्यादा देना पड़े थे, लेकिन इस बार काम छोड़कर आने का तो दुख है लेकिन यात्रा को लेकर परिवहन साधन को लेकर समस्या नहीं है। इस बार बस, ट्रेन आदि यात्री वाहन चल रहे हैं। इसके चलते अनेक यात्री उन साधनों से भी चले गए हैं। हालात सुधरने के उपरांत फिर लौटकर आएंगे।