भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। अब पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) की प्राणवायु में सालाना 100 करोड़ रुपये के डीजल के जलने से निकलने वाला धुआं नहीं घुलेगा। इस जोन की सभी रेलवे लाइनें विद्युतीकृत हो गई हैं। मतलब जोन के रेलवे ट्रैक 100 फीसद विद्युतीकरण वाले हो गए हैं। यह उपलब्धि 29 मार्च को हासिल की है। भारतीय रेल ने 2017 में रेलवे ट्रैकों का 100 फीसद विद्युतीकरण करने का लक्ष्य तय किया था, जिसे डब्ल्यूसीआर ने सबसे पहले पूरा किया है। इस जोन में भोपाल, जबलपुर और कोटा रेल मंडल आते हैं। तीनों को मिलाकर 3012 किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक है, जो कई हिस्सों में बंटा है। 2017 तक 1695 किलोमीटर रेलवे ट्रैक ही विद्युतीकृत था, बाकी 1317 किलोमीटर के ट्रैक पर डीजल इंजन लगाकर ट्रेनें चलानी पड़ती थी। एक अनुमान के मुताबिक इससे हर साल डीजल पर 100 करोड़ रुपये खर्च होते थे। डीजल के जलने से जहरीला धुआं निकलता था,...
more... जो वायु को प्रदूषित करता था।
आम नागरिकों को ये फायदें होंगे
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मप्र के सदस्य सचिव एए मिश्रा बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों के जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है, जो रुधिर में ऑक्सीजन-वाहक क्षमता को घटा देती है। डीजल का उपयोग नहीं होने से ये प्रदूषित कण हवा में नहीं मिलेंगे। हवा की सेहत पर डीजल इंजनों के चलने से जो विपरीत असर पड़ता था, वह नहीं होगा। आम नागरिकों व पर्यावरण को इससे फायदा होगा।
ऐसे पूर्ण विद्युतीकृत हुआ डब्ल्यूसीआर
- 2017 में भारतीय रेलवे ने 100 फीसद विद्युतीकरण का लक्ष्य तय किया था।
- 1695 रूट किलोमीटर ही विद्युतीकृत था।
- 29 मार्च 2021 को डब्ल्यूसीआर 100 फीसद विद्युतीकृत जोन बन गया।
- 3012 किलोमीटर रूट क्षेत्र में विद्युत इंजन वाली ट्रेनें दौड़ सकेंगी।
- 178 किलोमीटर रूट 2017-18 में विद्युतीकृत किया।
- 296 किलोमीटर रूट 2018-19 में विद्युतीकृत किया।
- 357 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण 2019-20 में किया।
- 486 किलोमीटर रूट का विद्युतीकरण 2020-21 में पूरा किया।
विद्युतीकरण पर कब कितना खर्च
- 254.71 करोड़ रुपये 2017-18 में।
- 423.58 करोड़ रुपये 2018-19 में।
- 510.87 करोड़ रुपये 2019-20 में।
- 695.47 करोड़ रुपये 2020-21 में।
इन रेलखंडों में पूरा हुआ विद्युतीकरण
पिपरिया-जबलपुर के बीच 178 किमी में 2017-18 में, जबलपुर-कटनी, सगमा-मानिकपुर, कटनी-खन्नबंजारी, विजयपुर-चाचौड़ा बीना गंज एवं गुना-बदरवास के बीच 296 किमी में 2018-19 में, सतना-सगमा, सतना-रीवा, खन्नबंजारी-मझौली, पाचोर रोड-चाचौड़ा बीनागंज एवं बदरवास-शिवपुरी खंड के बीच 357 किमी में 2019-20 में, कटनी-सतना, पाचोर रोड-मक्सी, मझौली-मेहदीया, शिवपुरी-ग्वालियर, गुर्ला-चंदेरिया के बीच 486 किमी में 2020-21 में विद्युतीकरण किया गया।
रेलवे बोर्ड के लक्ष्य के अनुरूप डब्ल्यूसीआर जोन ने ट्रैक विद्युतीकरण का काम तेजी से पूरा किया है। इसमें भोपाल, जबलपुर, कोटा मंडल ने बड़ी सक्रियता दिखाई है। सभी अधिकारियों ने समय-समय पर इस काम को प्राथमिकता में लिया और समीक्षा की थी। जरूरत पड़ने पर मैदानी स्तर पर जाकर जायजा भी लेते रहे। काम करने में जहां जो दिक्कतें आ रही थीं, उन्हें कम समय में सुलझाया गया और 29 मार्च को डब्लूसीआर पूरी तरह विद्युतीकृत हो गया है। इसमें प्रत्येक रेल अधिकारी और कर्मचारियों की सक्रिय भूमिका रही है। इससे डीजल पर खर्च होने वाली राशि बचेगी। पर्यावरण भी बचेगा।
- शैलेंद्र कुमार सिंह, पश्चिम मध्य रेलवे