आपकी बात से 100% सही है. इंडिया में सभी राज्यों में सभी जगहों में लोगों को सिर्फ सरकारी नौकरी चाहिए, कोई प्राइवेट नौकरी नही करना चाहता. सरकारी नौकरी के लिए लोग कुछ भी करने और लाखों रुपए घूस रिश्वत देने को भी तैयार है, पर क्यूँ ? क्योंकि प्राइवेट नौकरी में मेहनत करना पड़ता है और टार्गेट के अनुसार काम करना पड़ता है, प्राइवेट नौकरी में अगर बंदा काम नही करेगा तो उसको नौकरी से निकाल दिया जाता है और दफ्तर समय पर आना जाना पड़ता है और ज्यादा छुट्टी भी नही ले सकता अगर छुट्टी लेता है तो उस दिन की सैलरी कट जाती है. लेकिन सरकारी नौकरी लग गयी तो वो बंदा अपने आप को खुश नसीब किस्मत वाला समझता है क्योंकि उसे यह बात ठीक से पता होता के उसको कोई भी नौकरी से निकाल नही सकता. अब उसकी लाइफ सेट हो गयी और उसको सरकारी नौकरी मिल...
more... गई हैं अब उसको मेहनत नही करना पड़ेगा आराम से बैठ के रहो और हर महीने ज्यादा सैलरी लेते रहो, कितनी भी छुट्टियां करो और किसी भी समय दफ्तर में अपनी मर्जी के आया जाया करो कोई भी आपको नहीं रोकेगा टोकेगा और बोलेगा सब अपनी मर्जी से चलता है.
उदाहरण के तौर पर दुनिया के विकशित देश अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया में 100 किलोमीटर नयी रेल लाइन बिछानी हो तो उस देश के कर्मचारी वो काम को 2 से 3 महीने में पूरा कर देते है और उस नयी रेल लाइन ट्रैक पर ट्रैन चलनी शुरू हो जाती है. पर इंडिया में ऐसा नहीं होता यहाँ की भारत सरकार अगर पूरी जमीन अधिग्रहण करके भी दे और काम के लिए पूरा सरकारी फंडिंग भी दे तो भी इंडिया में 100 किलोमीटर नयी रेल लाइन बिछाने के काम को पूरा करने में 10 से 15 साल लग जाएंगे क्योंकि भारत के सरकारी कर्मचारी अपनी मर्जी और आराम से काम करते है इसके लिए वो भारत सरकार की बात भी नही सुनते और आदेश का पालन भी नही करते. सरकारी प्रोजेक्ट आगर 2 से 3 महीने के समय पर पूरा करेंगे तो सरकारी प्रोजेक्ट पर खर्च भी कम होता है अगर वही प्रोजेक्ट 10 से 15 साल में विलंब से आराम करके पूरा करेंगे तो वो प्रोजेक्ट का पूरा दाम 80 गुना बढ़ जाता है जिसका नुकसान का खामियाजा भारत सरकार को उठाना पड़ता है ना कि आराम फरमाने वाले सरकारी कर्मचारियों को. अगर भारत सरकार इन कर्मचारियों को काम समय में पूरा करने का दबाव देगी तो यह सरकारी कर्मचारियों यूनियन हड़ताल करेंगे भारत सरकार के खिलाफ और बोलेंगे "नौकर शाही ज़िंदाबाद, ताना शाही सरकार नही चलेगी मुर्दाबाद मजदूर यूनियन ज़िंदाबाद, ताना शाही सरकार मुर्दाबाद" करके भारत सरकार को डराने धमकाने की धमकी देंगे.
भारत सरकार को सबसे ज्यादा 97% टैक्स बड़ी बड़ी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और छोटे मोटे उद्योग से मिलता है. 2% से ज्यादा टैक्स सरकार को सरकारी कर्मचारी से मिलता है. फिर भी भारत सरकार का वह टैक्स का पैसा सरकारी कर्मचारियों के सैलरी और पेंशन देने में खर्च कर देती है. जिससे भारत सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ता है और इससे भारत का विकास के काम रुक जाता है और प्रभावित होता है.