Spotting
 Timeline
 Travel Tip
 Trip
 Race
 Social
 Greeting
 Poll
 Img
 PNR
 Pic
 Blog
 News
 Conf TL
 RF Club
 Convention
 Monitor
 Topic
 #
 Rating
 Correct
 Wrong
 Stamp
 PNR Ref
 PNR Req
 Blank PNRs
 HJ
 Vote
 Pred
 @
 FM Alert
 FM Approval
 Pvt
News Super Search
 ↓ 
×
Member:
Posting Date From:
Posting Date To:
Category:
Zone:
Language:
IR Press Release:

Search
  Go  
dark modesite support
 
Sat Apr 27 06:43:12 IST
Home
Trains
ΣChains
Atlas
PNR
Forum
Quiz
Topics
Gallery
News
FAQ
Trips
Login
Advanced Search
<<prev entry    next entry>>
News Entry# 410279

Rail News
9867 views
0

Jun 04 2020 (21:27)
Rang De Basanti^   58880 blog posts
Re# 4644501-1              
Part-2/
किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ innovation पर भी निर्भर करता है। हजारों सालों की मानव-जाति की यात्रा, लगातार, innovation से ही इतने आधुनिक दौर में पहुँची है, इसलिए, इस महामारी पर, जीत के लिए हमारे ये विशेष innovations भी बहुत बड़ा आधार है।

साथियो, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई का
...
more...
यह रास्ता लंबा है। एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज ही नहीं है, जिसका, कोई पहले का अनुभव ही नहीं है, तो ऐसे में, नयी-नयी चुनौतियाँ और उसके कारण परेशानियाँ हम अनुभव भी कर रहें हैं। ये दुनिया के हर कोरोना प्रभावित देश में हो रहा है और इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है। हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो, और इस संकट की सबसे बड़ी चोट, अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है। उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा, शब्दों में नहीं कही जा सकती। हम में से कौन ऐसा होगा जो उनकी और उनके परिवार की तकलीफों को अनुभव न कर रहा हो। हम सब मिलकर इस तकलीफ को, इस पीड़ा को, बांटने का प्रयास कर रहे हैं, पूरा देश प्रयास कर रहा है। हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र हो, राज्य हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो - हर कोई, दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं। लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों से, और बसों से, सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में Quarantine केन्द्रों की व्यवस्था करना, सभी की Testing, Check-up, उपचार की व्यवस्था करना, ये सब काम लगातार चल रहे हैं, और, बहुत बड़ी मात्रा में चल रहे हैं। लेकिन, साथियो, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है। आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, हम, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं। जिस पूर्वी हिस्से में, देश का growth engine बनने की क्षमता है, जिसके श्रमिकों के बाहुबल में, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाने का सामर्थ्य है, उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है। पूर्वी भारत के विकास से ही, देश का संतुलित आर्थिक विकास संभव है। देश ने, जब, मुझे सेवा का अवसर दिया, तभी से, हमने पूर्वी भारत के विकास को प्राथमिकता दी है। मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में, इस दिशा में, बहुत कुछ हुआ है, और, अब प्रवासी मजदूरों को देखते हुए बहुत कुछ नए कदम उठाना भी आवश्यक हो गया है, और, हम लगातार उस दिशा में आगे बढ़ रहें हैं। जैसे, कहीं श्रमिकों की skill mapping का काम हो रहा है, कहीं start-ups इस काम में जुटे हैं, कहीं migration commission बनाने की बात हो रही है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे भी गाँवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएँ खुली हैं। ये फैसले, इन स्थितियों के समाधान के लिए हैं, आत्मनिर्भर भारत के लिए हैं, अगर, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर होते, हमारे कस्बे, हमारे जिले, हमारे राज्य, आत्मनिर्भर होते, तो, अनेक समस्याओं ने, वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने खड़ी हैं। लेकिन, अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ना मानव स्वभाव है। तमाम चुनौतियों के बीच मुझे खुशी है, कि, आत्मनिर्भर भारत पर, आज, देश में, व्यापक मंथन शुरू हुआ है। लोगों ने, अब, इसे अपना अभियान बनाना शुरू किया है। इस mission का नेतृत्व देशवासी अपने हाथ में ले रहे हैं। बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है, कि, उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी, एक पूरी लिस्ट बना ली है। ये लोग, अब, इन local products को ही खरीद रहे हैं, और Vocal for Local को promote भी कर रहे हैं। Make in India को बढ़ावा मिले, इसके लिए, सब कोई, अपना-अपना संकल्प जता रहा है।
बिहार के हमारे एक साथी, श्रीमान् हिमांशु ने, मुझे NaMoApp पर लिखा है कि, वो, एक ऐसा दिन देखना चाहते हैं जब भारत, विदेश से आने वाले आयात को कम से कम कर दे। चाहे पेट्रोल, डीजल, ईंधन का आयात हो, electronic items का आयात हो, यूरिया का आयात हो, या फिर, खाद्य तेल का आयात हो। मैं, उनकी भावनाओं को समझता हूँ। हमारे देश में कितनी ही ऐसी चीजें बाहर से आती हैं, जिन पर हमारे ईमानदार tax payers का पैसा खर्च होता है, जिनका विकल्प हम आसानी से भारत में तैयार कर सकते हैं।
असम के सुदीप ने मुझे लिखा है कि वो महिलाओं के बनाए हुए local bamboo products का व्यापार करते हैं, और उन्होंने तय किया है, कि, आने वाले 2 वर्ष में, वे, अपने bamboo product को एक global brand बनायेंगे। मुझे पूरा भरोसा है आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक secret जरुर आज बताना चाहूँगा - विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ के सम्बन्ध में होती है। कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ कैसे मदद कर सकते हैं !
साथियो, ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ जल्द ही आने वाला है। ‘योग’ जैसे-जैसे लोगों के जीवन से जुड़ रहा है, लोगों में, अपने स्वास्थ्य को लेकर, जागरूकता भी लगातार बढ़ रही है। अभी कोरोना संकट के दौरान भी ये देखा जा रहा है कि हॉलीवुड से हरिद्वार तक, घर में रहते हुए, लोग ‘योग’ पर बहुत गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। हर जगह लोगों ने ‘योग’ और उसके साथ-साथ ‘आयुर्वेद’ के बारे में, और ज्यादा, जानना चाहा है, उसे, अपनाना चाहा है। कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी, या तो online योग class से जुड़ गए हैं या फिर online video के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं। सही में, ‘योग’ - community, immunity और unity सबके लिए अच्छा है।

Translate to English
Translate to Hindi

10140 views
0

Jun 04 2020 (21:28)
Rang De Basanti^   58880 blog posts
Re# 4644501-2              
Part-3/
साथियो, कोरोना संकट के इस समय में ‘योग’ - आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये virus, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है। ‘योग’ में तो Respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं। ये time tested techniques हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है। ‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे। लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं। वैसे, आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। आयुष मंत्रालय ने ‘My Life, My Yoga’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय Video Blog उसकी प्रतियोगिता शुरू
...
more...
की है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक video बना करके upload करना होगा। इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है। मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए।

साथियो, हमारे देश में, करोडों-करोड़ ग़रीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें। इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले ‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू की गई थी। कुछ ही दिन पहले, ‘आयुष्मान भारत’ के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज का मतलब क्या होता है, मालूम है? एक करोड़ से ज्यादा मरीज़, मतलब, नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो total जनसँख्या है, उससे, दो गुना लोगों को, मुफ्त में, इलाज दिया गया है। अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते। ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए हैं। मैं, ‘आयुष्मान भारत’ के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, nurses और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ। ‘आयुष्मान भारत’ योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है। Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती। इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वही सुविधा, तमिलनाडु में मिलती। इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती हैं।
साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं। इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है। मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग, उसको भी, इसी तरह आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला है। केलेनसांग को इतनी छोटी उम्र में brain की गंभीर बीमारी हो गई। इस बच्चे के पिता दिहाड़ी-मज़दूर हैं, और माँ बुनाई का काम करती हैं। ऐसे में बच्चे का इलाज़ कराना बहुत कठिन हो रहा था। लेकिन, ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अब उनके बेटे का मुफ्त इलाज हो गया है। कुछ इसी तरह का अनुभव पुडुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है। उनके लिए भी ‘आयुष्मान भारत’ योजना संकटमोचक बनकर आई है। अमूर्था वल्ली जी के पति की Heart attack से दुखद मृत्यु हो चुकी है। उनके 27 साल के बेटे जीवा को भी heart की बीमारी थी। Doctors ने जीवा के लिए surgery की सलाह दी थी, लेकिन, दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले जीवा के लिए, अपने खर्च से, इतना बड़ा operation करवाना संभव ही नहीं था, लेकिन, अमूर्था वल्ली ने अपने बेटे का ‘आयुष्मान भारत’ योजना में registration करवाया और नौ दिनों बाद, बेटे जीवा के heart की surgery भी हो गई।
साथियो, मैंने आपको सिर्फ तीन-चार घटनाओं का जिक्र किया। ‘आयुष्मान भारत’ से तो ऐसी एक करोड़ से अधिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। ये कहानियाँ जीते-जागते इंसानों की हैं, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए हमारे अपने परिवारजनों की है। आपसे मेरा आग्रह है, कभी समय मिले तो ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करियेगा, जिसने ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अपना इलाज कराया हो। आप देखेंगे कि जब एक गरीब बीमारी से बाहर आता है, तो उसमें गरीबी से लड़ने की भी ताकत नजर आने लगती है। और मैं, हमारे देश के ईमानदार Tax payer से कहना चाहता हूँ ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, संतोष मिला है, उस पुण्य के असली हकदार आप भी हैं, हमारा ईमानदार Tax Payer भी इस पुण्य का हकदार है।
मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ़, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा। तूफ़ान से अनेकों घर तबाह हो गए। किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है - प्रशंसनीय है। संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है।
साथियो, एक तरफ़ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ़, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ़ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।

Translate to English
Translate to Hindi

10066 views
0

Jun 04 2020 (21:28)
Rang De Basanti^   58880 blog posts
Re# 4644501-3              
Part-4/
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाएगी I ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस साल की theme है - Bio Diversity यानी जैव-विविधिता I वर्तमान परिस्थितियों में यह theme विशेष रूप से महत्वपूर्ण है I LOCKDOWN के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ़्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैव-विविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है I आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर–शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं I अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही
...
more...
हैं I मेरी तरह आपने भी social media में ज़रूर इन बातों को देखा होगा, पढ़ा होगा। बहुत लोग कह रहे हैं, लिख रहे हैं, तस्वीरें साझा कर रहे हैं, कि, वह अपने घर से दूर-दूर पहाड़ियां देख पा रहे हैं, दूर-दूर जलती हुई रोशनी देख रहे हैं। इन तस्वीरों को देखकर, कई लोगों के मन में ये संकल्प उठा होगा क्या हम उन दृश्यों को ऐसे ही बनाए रख सकते हैं I इन तस्वीरों नें लोगों को प्रकृति के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी दी है I नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक़ मिले, आसमान भी साफ़-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं I

मेरे प्यारे देशवासियो, हम बार-बार सुनते हैं ‘जल है तो जीवन है - जल है तो कल है’, लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। वर्षा का पानी, बारिश का पानी - ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है। गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं I पाँच दिन - सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वही जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें।
मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है I इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी I मेरा आपसे अनुरोध है कि इस ‘पर्यावरण दिवस’ पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे I हाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा।

साथियो, हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है I हमें इस लड़ाई को कमज़ोर नहीं होने देना है I हम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है I कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है। आपको, आपके परिवार को, कोरोना से अभी भी उतना ही गंभीर ख़तरा हो सकता है I हमें, हर इंसान की ज़िन्दगी को बचाना है, इसलिए, दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी ज़रूर रखेंगे I इसी विश्वास के साथ, आपके उत्तम स्वास्थ्य के लिए, मेरी, हार्दिक शुभकामनायें हैं I अगले महीने, फिर एक बार, ‘मन की बात’ अनेक नए विषयों के साथ जरुर करेंगे।
धन्यवाद I
*****
VRRK/SH/VK
(रिलीज़ आईडी: 1628089) आगंतुक पटल : 337
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English

Translate to English
Translate to Hindi
Scroll to Top
Scroll to Bottom
Go to Mobile site
Important Note: This website NEVER solicits for Money or Donations. Please beware of anyone requesting/demanding money on behalf of IRI. Thanks.
Disclaimer: This website has NO affiliation with the Government-run site of Indian Railways. This site does NOT claim 100% accuracy of fast-changing Rail Information. YOU are responsible for independently confirming the validity of information through other sources.
India Rail Info Privacy Policy