Part-3/
साथियो, कोरोना संकट के इस समय में ‘योग’ - आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये virus, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है। ‘योग’ में तो Respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं। ये time tested techniques हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है। ‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे। लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं। वैसे, आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। आयुष मंत्रालय ने ‘My Life, My Yoga’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय Video Blog उसकी प्रतियोगिता शुरू...
more... की है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक video बना करके upload करना होगा। इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है। मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए।
साथियो, हमारे देश में, करोडों-करोड़ ग़रीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें। इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले ‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू की गई थी। कुछ ही दिन पहले, ‘आयुष्मान भारत’ के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज का मतलब क्या होता है, मालूम है? एक करोड़ से ज्यादा मरीज़, मतलब, नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो total जनसँख्या है, उससे, दो गुना लोगों को, मुफ्त में, इलाज दिया गया है। अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते। ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए हैं। मैं, ‘आयुष्मान भारत’ के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, nurses और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ। ‘आयुष्मान भारत’ योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है। Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती। इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वही सुविधा, तमिलनाडु में मिलती। इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती हैं।
साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं। इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है। मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग, उसको भी, इसी तरह आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला है। केलेनसांग को इतनी छोटी उम्र में brain की गंभीर बीमारी हो गई। इस बच्चे के पिता दिहाड़ी-मज़दूर हैं, और माँ बुनाई का काम करती हैं। ऐसे में बच्चे का इलाज़ कराना बहुत कठिन हो रहा था। लेकिन, ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अब उनके बेटे का मुफ्त इलाज हो गया है। कुछ इसी तरह का अनुभव पुडुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है। उनके लिए भी ‘आयुष्मान भारत’ योजना संकटमोचक बनकर आई है। अमूर्था वल्ली जी के पति की Heart attack से दुखद मृत्यु हो चुकी है। उनके 27 साल के बेटे जीवा को भी heart की बीमारी थी। Doctors ने जीवा के लिए surgery की सलाह दी थी, लेकिन, दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले जीवा के लिए, अपने खर्च से, इतना बड़ा operation करवाना संभव ही नहीं था, लेकिन, अमूर्था वल्ली ने अपने बेटे का ‘आयुष्मान भारत’ योजना में registration करवाया और नौ दिनों बाद, बेटे जीवा के heart की surgery भी हो गई।
साथियो, मैंने आपको सिर्फ तीन-चार घटनाओं का जिक्र किया। ‘आयुष्मान भारत’ से तो ऐसी एक करोड़ से अधिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। ये कहानियाँ जीते-जागते इंसानों की हैं, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए हमारे अपने परिवारजनों की है। आपसे मेरा आग्रह है, कभी समय मिले तो ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करियेगा, जिसने ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अपना इलाज कराया हो। आप देखेंगे कि जब एक गरीब बीमारी से बाहर आता है, तो उसमें गरीबी से लड़ने की भी ताकत नजर आने लगती है। और मैं, हमारे देश के ईमानदार Tax payer से कहना चाहता हूँ ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, संतोष मिला है, उस पुण्य के असली हकदार आप भी हैं, हमारा ईमानदार Tax Payer भी इस पुण्य का हकदार है।
मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ़, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा। तूफ़ान से अनेकों घर तबाह हो गए। किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है - प्रशंसनीय है। संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है।
साथियो, एक तरफ़ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ़, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ़ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।