भैया, कविगुरु गोड्डा से नहीं है बल्कि हँसडीहा से है। कविगुरु पकड़ने के लिए लोगों को हँसडीहा जाना पड़ता था। हँसडीहा जाने में भी तो परेशानी थी, ये क्यूँ नहीं समझते हैं। ये डायरेक्ट ट्रेन हुई। अभी ये पहली ट्रेन है। थोड़ा इंतज़ार तो कीजिये, एक्सप्रेस भी मिलेगी।