. नए साल में एशिया का पहला रेलवे कॉरिडोर शुरू हो जाएगा। इसकी लंबाई 1520 किमी रहेगी। दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर का 96 किमी का हिस्सा सीकर से गुजरेगा। इस ट्रैक के सहारे राज्य सरकार (डीएमआईसी) दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर डवलप करने जा रही है। डीएमआईसी का दावा है कि कॉरिडोर से 50 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। छोटी-छोटी फैक्ट्रियां डवलप की जाएगी। जहां से माल तैयार होकर नजदीकी कंटेनर डिपो के जरिए दिल्ली से मुंबई तक पहुंचाया जाएगा। यह डबल कंटेनर ट्रैक बनेगा। इससे माल गाड़ियों की रफ्तार पांच गुना बढ़कर 125 किमी प्रति घंटा तक हो जाएगी। कॉरिडोर से 9 राज्य जुड़ेंगे।
रेवाड़ी से लेकर गुजरात के इकबालगढ़ तक वाया रींगस, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर में ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है। डाबला,...
more... भगेगा, श्रीमाधोपुर व रींगस क्रॉसिंग स्टेशन बनेंगे। वहीं पचार मलिकपुर में रेलवे कोच रखने की व्यवस्था की जाएगी। ट्रैक में दिल्ली-मुंबई के बीच एक भी रेलवे क्रॉसिंग नहीं होगी। क्रॉसिंग की जगह रेलवे ओवरब्रिज व अंडरब्रिज बना रहा है। प्रोजेक्ट का काम जापान की सोल्जित व भारत की एलएंडटी द्वारा किया जा रहा है। फुलेरा और अटेली (रेवाड़ी) में बनने वाले बड़े माल गोदाम का जिले के लोगों को फायदा होगा। यहां माल लोड अनलोड किया जा सकेगा। नीमकाथाना के लोग 95 किमी दूर अटेली तथा श्रीमाधोपुर और रींगस इलाके के लोग 67 किमी दूर फुलेरा गोडाउन से जुड़ेंगे।
कॉरिडोर यूं खोलेगा रोजगार के दरवाजे
- ट्रैक के सहारे औद्योगिक विकास होने से नजदीकी कस्बों के लोगों को रोजगार मिलेगा।
-नीमकाथाना में माइनिंग व सीमेंट से जुड़े उद्योगों और कारोबार का विकास होगा।
- ट्रांसपोर्टर को काम मिलेगा। मैटेरियल पैकिंग आदि से रोजगार के अवसर मिलेंगे।
इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन से रींगस से रेवाड़ी का साढ़े तीन घंटे का सफर हो जाएगा आधा
रेवाड़ी से रींगस तक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन चलेंगी। रफ्तार 110 किमी. प्रति घंटा होगी। रेवाड़ी-नारनौल-जयपुर-रींगस होते हुए फुलेरा तक इस लाइन पर अभी फिलहाल डीजल इंजन 60 से 70 की स्पीड पर दौड़ते हैं। ट्रेन का विद्युतीकरण हो जाने के बाद यह स्पीड बढ़कर 110 से 130 किमी. प्रति घंटा हो जाएगी। इससे रेवाड़ी से रींगस तक के सफर में अब तक जहां साढ़े 3 घंटे लगते हैं वह सफर आधा हो जाएगा। अजमेर, गुजरात व महाराष्ट्र की तरफ जाने वाली ट्रेनों को रींगस से होकर निकाला जाएगा।