सिर्फ 12 यात्रियों के लिए 52 दिन चली 16 डिब्बों की ट्रेन:
सिर्फ12 यात्रियों के लिए 16 डिब्बों की एक स्पेशल ट्रेन 52 दिन तक दो स्टेशनों के बीच दौड़ती रही। जोधपुर से बाड़मेर के बीच चलाई गई इस ट्रेन में रेलवे को रोजाना जाते वक्त औसतन 12 और लौटते वक्त 35 यात्री ही मिले। ट्रेन में छह डिब्बे जनरल और 10 रिजर्वेशन कैटेगरी के थे। 52 दिन में कुल 40,392 बर्थ पर 648 यात्री जोधपुर से बाड़मेर गए, 1822 यात्री बाड़मेर से जोधपुर लौटे। 52 फेरों में रेलवे ने 2470 यात्रियों से किराए के नाम पर 10 लाख रु. कमाए, लेकिन ट्रेन चलाने में ही 50 लाख रुपए खर्च कर दिए। यह तो सिर्फ डीजल का खर्च है, परिचालन, ट्रेन स्टाफ...
more... और अन्य खर्चे अलग हैं।
दरअसल, जोधपुर-जयपुर के बीच चलने वाली हाईकोर्ट सुपरफास्ट ट्रेन को यात्री सुविधा के नाम पर 1 अप्रैल से 30 जून के बीच बाड़मेर तक चलाया गया, सप्ताह में चार दिन चलने वाली इस ट्रेन में दिक्कत यह थी कि यात्री बाड़मेर से जयपुर का टिकट नहीं ले सकता था। सिर्फ जोधपुर बाड़मेर के बीच के स्टेशनों के ही टिकट ले सकता था। ऐसे में यात्री भार घट गया। जिस पर रेलवे अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि इस ट्रेन ने तीन माह में 52 फेरे लगाए।
इनमेंजोधपुर से बाड़मेर के लिए थर्ड एसी की कुल 3456 बर्थ उपलब्ध करवाई गई, लेकिन सफर करने के लिए 98 यात्री ही मिले। ऐसे ही एसी चेयरकार की 3996 बर्थ पर 197 और सेकंड सीटिंग की 32,940 बर्थ पर मात्र 353 यात्रियों ने सफर किया। यानी कुल 40,392 बर्थ पर 648 यात्रियों ने। ऐसे ही वापसी में 1822 यात्रियों ने सफर किया। जाने में प्रतिदिन के औसतन 12 और आने में 35 यात्री ही ट्रेन को मिले।