ट्रैक पर काम के दौरान न लाल झंडी लगाई, न खड़ा किया कर्मचारी, तेज रफ्तार से अाई अवध एक्सप्रेस, ट्रेन रुकी तो पीडब्ल्यूआई स्टाफ ने लोको पायलट को पीटा, सैनिकों ने बचाया, 28 मिनट चला हंगामा
गुना से उज्जैन जा रही अवध एक्सप्रेस के लोको पायलटों के साथ पीडब्ल्यूआई के स्टाफ द्वारा मारपीट करने का मामला सामने आया है। घटना ब्यावरा और बीनागंज के बीच घोड़ा पछाड़ नदी के पुल की है। ट्रेन में बैठे आर्मी के जवानों ने ट्रेन के पायलटों को बचाया। दोनों पक्षों ने जीआरपी व आरपीएफ में आवेदन दिए हैं। मामले की जांच की जा रही है। अवध एक्सप्रेस दोपहर 1:40 बजे गुना से उज्जैन के लिए रवाना हुई थी। ट्रेन शाम 3:55 बजे बीनागंज स्टेशन से...
more... घोड़ा पछाड़ नदी के पास पहुंची जहां रेलवे ट्रैक पर काम कर रहे पीडब्ल्यूआई स्टाफ ने न तो कार्यस्थल से 30 मीटर पर लाल कपड़ा लगा रखा था और न ही झंडी बताने वाला कर्मचारी खड़ा किया था। ऐसे में ट्रेन सीधे तेज रफ्तार से चली गई। आगे देखा की जिस जगह काम चल रहा है, वहीं पर लाल कपड़ा लगाकर ट्रैक पर काम किया जा रहा है तो पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका। इससे न सिर्फ ट्रेन पटरी से उतरने से बच गई, बल्कि बड़ा हादसा भी टल गया।
पायलट ने झंड़ी लगाने और कर्मचारी खड़ा करने की बात तो अभद्रता कर मारपीट की: अवध एक्सप्रेस ने लोको पायलट विश्राम मीणा, सहायक लोको पायलट रामसिंह बताया कि ट्रेन रुकने के बाद उन्होंने ने मौके पर काम करा रहे पीडब्ल्यूआई के कर्मचारी ज्ञानेंद्र सिंह परमार व कर्मचारियों ने नियम बताते हुए तय दूरी पर लाल कपड़ा लगाने व कर्मचारी खड़ा करने की बात कही तो वे विवाद करने लगे। पीडब्ल्यूआई स्टाफ ने इंजन में घुसकर सहायक लोको पायलट रामसिंह के साथ मारपीट कर दी। बीच बचाव में लोको पायलट विश्राम मीणा के साथ भी मारपीट की गई। ट्रेन में बैठे आर्मी जवानों ने दोनों पायलटों को बचाया। विवाद में ट्रेन 4:10 से 4:38 बजे तक 28 मिनट मौके पर खड़ी रही। पायलटों ने ब्यावरा में स्टेशन मास्टर पीएस मीणा को मेमो दिया। एसएस ने आरपीएफ व जीआरपी को लिखित सूचना देकर पुलिस कार्रवाई के लिए दिया है।
दोनों पक्षों ने दिए अावेदन, जांच के बाद दर्ज होगा मामला
ट्रेन के पायलटों के साथ मारपीट के मामले में एसएस और पीडब्ल्यूआई ज्ञानेंद्र सिंह परमार ने जीआरपी थाने में आवेदन दिए हैं। ब्यावरा जीआरपी दोनों ही आवेदनों की जांच कर रही है।
घोड़ा पछाड़ पुल पर पीडब्ल्यूआई के स्टाफ की लापरवाही से टला बड़ा हादसा, घटना के बाद ट्रेन के पायलट ने ब्यावरा स्टेशन पर एसएस को दिया मेमो, दोनों पक्षों के आवेदन पर जांच कर रही जीआरपी, इसके बाद दर्ज होगी एफआईआर
जीएम के दौरे के लिए आनन- फानन में हो रहा काम, 10 दिन में दूसरी बड़ी घटना
जबलपुर रेल जीएम का आगामी 15 फरवरी के दौरा कार्यक्रम के लिए रेलवे द्वारा मक्सी से लेकर गुना तक पूरे ट्रैक पर आनन- फानन में बड़े स्तर पर काम कराया जा रहा है। इसी में लापरवाहियां भी सामने आ रही हैं। रविवार शाम को हुई घटना में भी प्रथम दृष्टया पीडब्ल्यूआई स्टाफ की लापरवाही से विवाद की स्थिति बनने की बात सामने आ रही है। बीते बुधवार को निरीक्षण पर आए डीआरएम की स्पेशल ट्रेन से विद्युतीकरण का काम कर रही केईसी कंपनी की ट्रॉली दूधी नदी के पुल पर टकरा गई थी। इसमें भी ठेका कंपनी केईसी की लापरवाही सामने आई थी।
ब्यावरा और बीनागंज के बीच घोड़ापछाड़ के पुल पर ट्रैक पर काम चलने के दौरान लाल कपड़ा नहीं लगाने पर हुए विवाद के बाद मौके पर जमा भीड़। बीच बचाव करते अार्मी के जवान।
ये हैं ट्रैक पर काम करने के नियम: रेलवे की सामान्य सहायक नियमावली के तहत कार्यस्थल पर 30 मीटर दूरी पर लाल कपड़ा लगा होना चाहिए। 600 मीटर पर ट्रैक के नीचे एक पटाखा व इसके बाद क्रमश: 10, 10 मीटर पर दो पटाखे लगाने चाहिए। कार्यस्थल से 45 मीटर की दूरी के पहले एक कर्मचारी लाल झंड़ी लेकर खड़ा होना चाहिए। जो ट्रेन को कार्यस्थल पर 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से निकलने का संकेत करें।
मौके पर ये लापरवाही हुई, इसलिए बढ़ी चली गई ट्रेन
पीडब्ल्यूआई व पायलट के विवाद में कार्यस्थल से 30 मीटर पहले न तो लाल कपड़ा लगाया था न ही ट्रैक के नीचे पटाखे ही लगाए थे। सिर्फ कार्यस्थल पर ही लाल कपड़ा लगा था। इससे गफलत की स्थिति बन गई। जबकि जिस जगह काम चल रहा था, वहां ढलान के साथ ही गोलाई भी थी। इसके लिए पायलट को भी सामने ट्रैक पर काम करती हुई लेबर लिखाई नहीं दी।