शायद ये मेरा दुस्वप्न था||
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हुआ यूँ जैसे ही स्टेशन पे मैंने कदम रखा देखा एक शाइनिंग बोर्ड और अच्छे कलर्स मगर जैसे ही जमीन पे मेरी नज़र पड़ी आंखें फटी की फटी रह गयी. बाहर से लेकर अन्दर तक सिर्फ लोग ही लोग यहाँ वहां जैसे तैसे बेतरतीब बैठे हुए हर जगह गन्दगी का अंबार इवन प्लेटफार्म १ जो की सर्वाधिक क्लीन देखा था और हर जगह से बेहतरीन था लग रहा था जैसे कहीं लोकल स्टेशन पे खड़ा हु.
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इतनी भीड़ न जाने कहाँ से आ गयी और साथ अपने लायी दुनिया भर की गन्दगी! मैंने फिर प्लेटफार्म ५ का रुख किया जहाँ मेरी ट्रेन कड़ी थी ! ऐशी दुर्दशा शायद ही मैंने कभी यहाँ देखि हो पूरी तरह से टूटे इस प्लेटफार्म पे लोगों ने न जाने क्या किया था की कदम रखते भर से जी अजीब सा हो जा रहा था. मेरी लिए ये एक दुश्वप्न से कम नही था जो स्टेशन दुनिया के बेहतरीन स्टेशन मे शुमार है उसकी ये हालत. मैंने इसके लिए एक RTI भी दाखिल की ताकि जल्द ही इसपर नज़र पड़े और जरूरी सुधर हो सके. ये वोही स्टेशन था जहाँ मैंने शानदार सफाई और लोगों का तरीके से रहना देखा था बचपन से.
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आशा यही है की जल्द ही इसको सही कर लिया जायेगा मगर ये दुश्वन अब न जाने कब जायेगा क्यूंकि लगभग सारे भारतीय रेलवे के स्टेशन का येही हाल है.