हम जब छठी कक्षा में थे तो एक दिन रविवार को खगड़िया से अपने घर चैधा बन्नी जाने के लिये अकेले निकले।
गाड़ी संख्या 320 डाउन समस्तीपुर कटिहार पैसेंजर।
समय था 16:20
हम डेरा से 16:00 निकले।
हम...
more... जानते थे कि गाड़ी लेट आती है तो आराम से आ रहे थे।
पर स्टेशन आया तो गाड़ी निकल चुकी थी।
इस स्थिति में मेरे पास एक विकल्प और रहता था।
5714 पटना कटिहार इंटरसिटी से महेशखुँट जाते फिर वहाँ से 321 पकड़ कर हॉल्ट आ जाते।
पर रविवार को इंटरसिटी नहीं थी।
अब क्या करें?
18:00 बजे के आसपास 5708 आम्रपाली आयी।
मुझे पता नहीं था कि ये कहाँ कहाँ रुकती है मैं सोचा कि ये महेश खुँट रुकेगी क्योंकि वह स्टेशन है।
पर गाड़ी वहाँ नहीं रुकी।
सीधे थाना बिहपुर पहुँच गए हम 😭
321 तो निकल गयी रास्ते में हीं।
अब मेरे पास एक उपाय था कि 3245 कैपिटल से मानसी जाएं और 322 पकड़ कर अपने गाँव आ जाएं।
फिर गाड़ी पकड़ लिया।
अब पता नहीं भाग्य में क्या लिखा था 322 भी रास्ते में ही मिल गयी।
फिर रात 22:00 बजे मानसी पहुँचे।
अब रात काटने के अलावा कोई उपाय नहीं था।
सो रात वहीं स्टेशन पर सुत गए।
भोरे भोर 316 आयी फिर पकड़ कर घर आये।
मैं दुखी मन से घर आया।
भगवान भी मेरे साथ ऐसा धोखा किया। 😭
कभी विश्वास भी नहीं होता था कि कभी ये दिन भी देखने को मिलेगा।
😅
चलो भाई खैर जो हुआ सो हुआ।
इसके अलावे हमने कई बार बिना जाने किसी भी ट्रेन में जान बुझ कर मोकामा, बरौनी, न्यू बरौनी, हाथी दह , कटिहार इत्यादि जगह घुमने जाता था अकेले 😂🙃🙃
लेकिन कोई दिक्कत नहीं हुआ।