बंधु आप इस बात से अनभिज्ञ नहीं हैं कि रेल के काम मे औपचारिकताएं कुछ जरूरत से ज्यादा ही पूरी करनी पड़ती हैं , हम तो इतना जानते है कि हथेली पर सरसों नहीं उगाई जा सकती जिस गति से पूरे देश मे काम हो रहा है हमे तो 60 साल तक इस गति से कम होते नहीं देखा है ।
पहले से ही कोई पूर्वाग्रह बना बैठे की कुछ कमी निकलना है तो उसका इलाज तो हाकिम लुकमान के पास भी नहीं होता ।
सही वक्त पर खाना परोसा दो तो नामक...
more... कम है वाली बात है ।
जब छुट्टी होती है तो पैसेंजर का उप डाउन का टिकेट लेकर दिनभर उसी में घर का टिफिन और फोल्डिंग स्टूल लेकर निकलता हूं पिकनिक भी और ये देखता हूँ कि कोई ऐसी जगह मिले जहां मजदूर अथवा मशीन काम मे ना लगी हो लेकिन तीन साल में 28 बार पैसेंजर यात्रा के बाद मुझे 5 किमी लाइन भी नहीं मिल सकी जहां कुछ भी नया काम ना हो रहा हो , अगर कोई रूट आपकी जानकारी में हो तो मुझे भी बताने की कृपा करें