नितिन भाई... एक्सप्रेस वे की प्राथमिकता अलग थी। उसकी उपयोगिता अलग थी।
रेलवे जब कोई काम हाथ में लेता है तो उसकी प्राथमिकता, उपयोगिता और उससे मिलने वाला रेट ऑफ़ रिटर्न पहले देखता है, तभी उसके लिए बजट में प्रावधान किया जाता है। महू-खंडवा रेल लाइन को ब्रॉडगेज करने में अलग तरह की समस्याएं हें। यहां 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी लाइन और टनल हैं जिनका संधारण नए तरीके से करके बड़ी लाइन बिछाना दुरुह कार्य है। इसीलिए रेलवे इस घाट सेक्शन को बायपास करके नई लाइन बिछाना चाहता है जिसमें फिलहाल वन विभाग और उसके 50000 से अधिक पेड़ आ रहे हैं और उतना बजट भी नहीं दिया गया है। जो बजट मिला है उसमें से 90 करोड तो...
more... इंदौर-महू में ही खर्च हो जाएंगे और बाकी राशि से घाट सेक्शन में सर्वे और शुरुआती निर्माण कार्य होंगे। 15 किमी की टनल बनाना भी हलवा नहीं है और इतने संसाधन भी पश्चिम रेलवे के पास नहीं हैं।
इस महू-खंडवा सेक्शन को बीजी होने में कम से कम 3 साल तो लगेंगे ही।