गणतंत्र दिवस के दिन कोटा रेलवे स्टेशन के प्लेटफोर्म नं २ पर बैठे उस जेन्टलमेन की नजर एक बच्चे पर पड़ी जो इतनी कड़कड़ाती हुई ठंड में किसी स्कूल की यूनिफोर्म पहने एक हाथ में अपनी छोटी बहिन या भाई और दूसरे एक मटमेला सा थैला लेकर घूम रहा था |
तभी बच्चा उस जेन्टलमेन के नजदीक आकर बोला - साहब गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई, साहब जूते पोलिश करूँ ?
आदमी ने उससे पूछा कि आज तो गणतंत्र दिवस है तुम स्कूल जाने के बजाए यहाँ जूते पोलिश क्यों कर रहे...
more... हो ?
उस बच्चे के जवाब ने उस जेन्टलमेन को अंदर तक झकझोर के रख दिया |
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बच्चे ने उदारता के साथ कहा कि साहब आज रविवार है और मैं हर रविवार को जूते पोलिश करके कुछ पैसे कमा लेता हूँ जिससे मैं और मेरी अपाहिज माँ 2 वक्त की रोटी खा सके ।
जब उस जेन्टलमेन ने उसे 500 रूपये का नोट देना चाहा तो उस मासूम बच्चे ने कहा - साहब मेरी माँ ने मुझे हमेशा यही सिखाया है कि सिर्फ अपनी मेहनत से कमा कर खाओ इसलिए आप जल्दी से मुझे मेरे 5 रूपये दे दीजिए, मुझे और भी लोगों के जूते पोलिश करने है |
वो बच्चा अपने 5 रूपये लेकर चल पड़ा मगर वो बच्चा उस जेन्टलमेन को बहुत कुछ सीखा गया