................अब हम अपनी मंजिल के काफी करीब आ चुके थे और पीलीभीत यहाँ से केवल 69किलीमीटर ही दूर था ,इसी बीच rf आदित्यनाथ के माध्यम से हमें ये जानकारी हुई की जिस ट्रेन में हम सवार है वही ट्रेन टनकपुर से नैनीताल एक्सप्रेस बन के आयगी तो हम दोनों दुविधा में पड़ गए की पीलीभीत में अपनी यात्रा समाप्त करे या टनकपुर तक की यात्रा करे ,, काफी देर चले मंथन के बाद टनकपुर में मिलने वाले कम समय को ध्यान में रख कर हमने अपनी यात्रा पीलीभीत में ही खत्म करने का फैसला किया , खैर मैलानी से निकले के बाद ट्रेन अच्छी औसत बनाये हुए थी , पर ट्रैक कमजोर होने के वजह से 50-55 तक की ही रफ़्तार बना पा रही थी ,,अब सूरज लगभग ढलने को हो गया था और बीच में एक और ठहराव था जहा पर से ट्रेन में दैनिक यात्रियो का कब्ज़ा हो गया...
more... और सूरज के पूरी तरह डूबने के 5मिनट बाद यानि अपने निर्धारित समय से 25मिनट विलम्ब से हम पीलीभीत स्टेशन पर दाखिल हो चुके थे , कियुकि अमान परिवर्तन के लिए पीलीभीत प्लेटफार्म 1 को पूरी तरह बंद कर दिया गया था इसलिए हमारी ट्रेन का प्लेटफार्म नंबर 2 पर आगमन हुआ ,, ऐशबाग के बाद से यह पहला स्टेशन था जो बड़ा MG टर्मिनल लग रहा था ,, खैर यहाँ से उतरने के बाद एक और किस्सा हमारा इंतज़ार कर रहा था ,, हम स्टेशन का फुट ओवर ब्रिज ले कर प्लेटफार्म 1 पर पहुचे वह हमें टिकट चेक कर रहे व्यक्ति से रिटायरिंग रूम या डोरमेट्री के लिए बुकिंग सम्बंधित सवाल पूछे तो वो वयक्ति ने हमें रुकने को कहा ,, जब थोड़ा देर रुकने के बाद भी कोई सुनवाई ना हुई तो हम स्टेशन मास्टर के रूम में पहुचे , वहा पहले से ही काफी भीड़ थी कियुकि उस वक़्त वहा के व्यापरी सीतापुर - ऐशबाग अमान परिवर्तन के लिए बंद होने के विरोध में पहुचे थे और स्टेशन मास्टर को ज्ञापन दे रहे थे ,, उतने में ही हमारे ही ट्रेन में आये हुए दो लोग स्टेशन मास्टर के रूम में दाखिल होते है और थोडा देर रुक के स्टेशन मास्टर की किसी से फ़ोन पर बात करवाते है ,, उत्सुकतावस मैं भी अंदर जा के देखने की कोशिस करता हु की क्या हो रहा तो पता चलता है की वो लोग NER के एक बड़े अधिकारी (नाम और उनका पद मैंने गोपनीय रखा है) से स्टेशन मास्टर की बात करवाने में लगे थे ,, थोड़ी देर बाद स्टेशन मास्टर एक रेल कर्मी को बुला कर उनके लिए डोरमेट्री खोलवा देता है और वो लोग वहा चले जाते है , उनके जाने के बाद RF कुश भी स्टेशन मास्टर के रूम में जा के डोरमेट्री बुक करने की बात करता है तो स्टेशन मास्टर ने यह कहते हुए मना कर दिया की डोरमेट्री के किए 500km तक की दुरी का टिकट चाहिए होता है और आपका 269km का है ,, काफी समझने और बहस के बाद भी स्टेशन मास्टर टस से मस नहीं हुआ ,, rf कुश ने ये पूरी बात आ कर मुझे बताई , उसके बाद हमने यह मामला ट्वीट करने का फैसला किया ,पूरा मामल सम्बंधित विभागों को ट्वीट करने के बाद हमलोग वही आसपास ही रुके रहे,, करीब 15-20मिनट बाद हमलोग को उसी रेल स्टाफ ने बुलाया जिस से हमलोग ने सबसे पहले इस मामले में पूछा था ,, हमें सीधे स्टेशन के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के ऑफिस ले जाया गया जहा उन्होंने हमसे हमारी समस्या पूछी और हमने उन्हें बातया , मज़े की बात ये रही की वो जितने देर हमसे बात किए उतनी देर उनका फ़ोन बजता ही रहा और वो फ़ोन उठा के यही बता रहे थे की "हा उन्हें शिकायत करने वाले मिल गए है और उनकी समस्या का हल किया जा रहा है " , पूरा मामला जानने के बाद उन्होंने सम्बंधित अधिकारियो को हमारे सामने ही काफी कड़ी फटकार लगाई और आगे से ऐसा ना करने की चेतवानी दी , इसके बाद हमें दूसरे कमरे में ले जाया गया जहाँ बुकिंग होनी थी ,, पर उतने में ही वो बुकिंग क्लर्क को वापिस बुला लिया गया करीब 10मिनट बाद जब क्लर्क और पब्लिक रिलेशन ऑफिसर वापिस आये तो उसने पूरा मामला बातया की NER के एक बड़े अधिकारी ने अपने निजी तौर पर स्टेशन मास्टर को फ़ोन कर के 2 लोगो के लिए रिटायरिंग रूम खुलवाया है और उसका कोई लेखा जोखा नहीं है , उन्हें निशुल्क यह सुविधा दी गई हे और इसलिए हमें स्टेशन मास्टर ने रिटायरिंग रूम बुक करने से मना कर दिया था ,,इस सब के बाद बाद में हमें डोरमेट्री में प्रवेश मिला ,, इसके बाद पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ने हमसे ट्वीट करने को कहा जिसमे हम यह कहना था की समस्या का समाधान हो गया है , जैसा की वयस्तव में हो चुका था इसलिये हमने वो ट्वीट कर दिया ,, खैर इसके सबके होने के बाद हमने अपने सामान डोरमेट्री में मिलने वाली अलमारी में लॉक किया और स्टेशन के बाहर निकल गए ,, बाहर निकल के हमने काफी चीज़ों का ज़ायका लिया,, और अंत में स्टेशन के बाहर के ही एक होटल में खाना खाया जो की उस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगा हुआ था जिसमे रेलवे , बस स्टेशन या किसी मश्हूर जगह के बाहर मिलने वाले खाने बेहद बकवास और ठगी वाले रहते है ,, खैर इस खराब अनुभव के बाद हम वापिस डोरमेट्री में आ गए , अब करीब 10 बज चुके थे और हमने 2 घंटे आराम करने का फैसला लिया , RF कुश ने इन दो घंटों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए सोना बेहतर समझा , और मैंने ट्रेन निकल जाने के भय के वजह से सोने के जगह इंटरनेट इस्तेमाल करना जयदा बेहतर समझा ,, हमारी ट्रेन 30मिनट विलम्ब से चल रही थी ,, जब ट्रेन पीलीभीत से एक स्टेशन पीछे थी तो मैंने RF कुश को 11:45 पर जगाया और हम करीब 11:55 पर प्लेटफार्म 2 के लिए निकले , स्टेशन पहले से ही खचाखच भरा हुआ था , हमने फुटओवर ब्रिज से ट्रेन का आगमन देखने का फैसला किआ ,, जब ट्रेन पीलीभीत दाखिल हुई तो हमने देखा की ट्रेन जरुरत से जयदा भरी हुई थी ,, लोग ट्रेन की छातो पर बैठे हुए थे , जितनो भीड़ ट्रेन में थी उतनी ही स्टेशन पर ,, खैर ट्रेन आने के बाद हम अपने डब्बे की तरफ बढे , यह हमारा पहला अनुभव था किसी भी MG ट्रेन के वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा करने का , शुरू में ट्रेन में चढ़ने के बाद हमें जगह काफी कम लगी , इसके गलियारें से दो लोग कितने भी पतले हो वो साथ क्रॉस नहीं कर सकते थे ,, ट्रेन पे चढ़ने के बाद हम TTE का इंतज़ार करने लगे कियुकि हमारी सीट दो अलग अलग केबिन में थी ,, TTE ट्रेन के पीलीभीत प्रस्थान से पहले ही आ गया , हमने उस से अपनी ये समस्या बताइये तो उन्होंने बिना समय गवाए चार्ट देख कर हमें एक ही केबिन में दो ऊपरी सीट दे दी ,इस ट्रेन के TTE का वयवहार काफी अच्छा था , खैर फिर हमने वहा जा कर अपनी सीट ली , सीट पर लेटने के बाद वह कोच हमें काफी आरामदायक लगा , सीट की लंबाई और चौड़ाई पर्याप्त थी , AC की कूलिंग भी ट्रेन चलने के बाद काफ़ी बढ़िया थी , ट्रेन में उपलब्ध कराई गई चादर , तकिया और कम्बल भी साफ़ थे ,, दिन भर की रेलयात्रा के वजह से हम काफी थक चुके थे और पीलीभीत के बाद हमने सोना ही ज्यदा बेहतर समझा ,, थकान के वजह से हमारी आँख ऐशबाग आने तक भी नहीं खुली थी और जब ट्रेन ऐशबाग पर लग रही थी तब कोच अटेंडेंट ने हमें आ कर उठाया ,, ट्रेन ने रातभर में अपना 30मिनट का बिलंब कवर कर लिया था और ट्रेन ऐशबाग पर अपने निर्धारित समय पर लग गई थी ,, करीब 5 मिनट बाद हम ट्रेन से उतरे और एक आखिरी बार ट्रेन और स्टेशन को देख कर बाहर की तरफ निकल पड़े और ऐसे पूरी हुई हमारी ये लखनऊ मीटर गेज की अंतिम यात्रा :)