ट्रेन के साथ हर पल स्टेशन की ओर दौड़
रही थी मौत
टूंडला। ‘बर्निंग ट्रेन’ फिल्म की तरह दौड़ती ट्रेन
को रोकने जैसी चुनौती। वो फिल्म की कहानी थी,
यहां हकीकत में एक बड़े...
more... हादसे की ओर ट्रेन बढ़
रही थी। जोधबनी एक्सप्रेस टूंडला स्टेशन के आउटर
का रेड सिग्नल ब्रेक कर चुकी थी। बामुश्किल पांच
मिनट के भीतर वह स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर पर
तीन पर पहुंच जाती, जहां पहले से ही अहमदाबाद
पटना स्पेशल ट्रेन खड़ी थी। दो ट्रेनों की टक्कर
की आशंका से ट्रेनों की संचालन व्यवस्था से जुड़े
लोगों की रूह कांप गई। टूंडला स्टेशन पर दहशत और
अफरा तफरी का आलम, कंट्रोल रूम के फोन और हैंड
सैटों पर निर्देश व चिल्लाने की आवाजें थी।आनन
फानन में ट्रेन को प्लेटफार्म नंबर चार की लाइन पर
डाला गया। ओएचई लाइन की सप्लाई बंद कर
दी गई। इसके बाद जाकर ट्रेन रूकी तो रेलवे
अधिकारियों और कंट्रोल रूम में बैठे
कर्मचारियों की जान में जान आई।
यह नजारा था रविवार की सुबह लगभग 10:20 बजे
टूंडला रेलवे स्टेशन का। दो मिनट की भी देरी ओएचई
लाइन की सप्लाई बंद करने के निर्णय में हो गई
थी तो स्थिति काबू से बाहर हो गई थी और ट्रेन
स्टेशन तक पहुंच जाती। आउटर और स्टेशन के बीच
की एक किलोमीटर की दूरी तय करने में ट्रेन को पांच
मिनट ही लगने थे। ऐसे तनावपूर्ण और दहशत भरे
क्षणों में नियंत्रक ने सूझबूझ का परिचय दिया और
सबसे पहले ओएचई को बंद कराया था। हालांकि इसके
साथ ही ट्रेन के आगे बढ़ने की स्थिति को मद्देनजर
रखते हुए केबिनमैन को स्टेशन की खाली लाइन पर
ट्रेन लेने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान
अफरा तफरी मची हुई थी। सायरन की आवाज सुनकर
और नियंत्रण कक्ष के निर्देश के बाद संबंधित विभाग
के अधिकारियों ने भी स्टेशन की ओर दौड़
लगा दी थी। ट्रेन के रुकते ही सभी ने राहत की सांस
ली। लेकिन यह हादसा कई सवाल छोड़ गया।
जोगबनी एक्सप्रेस के चालक एसआर बलई व सहायक
चालक सेतुबंद मीना ने बताया कि मितावली रेलवे
स्टेशन के बाद से ब्रेक काम नहीं कर रहे थे। अब
उनकी बात पर यकीन किया जाए तो ब्रेक फेल ट्रेन ने
ही मितावली स्टेशन से टूंडला आउटर तक की दूरी तय
की। यह लगभग दस किलोमीटर का फासला तय कर
लिया लेकिन इसकी सूचना चालक, सहायक चालक
या गार्ड ने स्टेशन या कंट्रोल पर किसी को देने
की कोशिश क्यों नहीं की। सवाल कई है, जिनके जवाब
जांच दल भी तलाश करेगा।
गंभीर चूक है रेड सिग्नल क्रास करना
रेलवे में रेड सिग्नल क्रास होना गंभीर
घटना माना जाता है। रेल हादसे की तरह ही इसमें
कार्रवाई होती है। रेल चालक अगर रेड सिग्नल
क्रास कर गया है तो उसे सस्पेंशन तो तत्काल दे
दिया जाता है। इसके बाद जांच होती है। जांच में
अगर रेल चालक का फाल्ट मिलता है तो उसे बर्खास्त
किया जाता है। हालांकि चालकों के बयानों के आधार
पर अधिकारी इसे इंजन फेल होने की घटना भी मान
रहे हैं। यदि जांच में इंजन फेल होना माना जाता है
तब ही चालक के बचने के चांस हैं।
पूर्व में सिंग्नल तोड़ती रही है ट्रेन
रेड सिग्नल तोड़कर ट्रेन आगे निकलने का यह कोई
पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व ही कई मामले हुए
हैं। अभी हाल ही में करीब एक माह पूर्व एक
मालगाड़ी का चालक कौरारा रेलवे स्टेशन के निकट
सिग्नल ब्रेक कर गया था। करीब एक वर्ष पूर्व
टूंडला कंट्रोल ऑफिस के सामने ही सिग्नल क्रास करने
पर रेल का इंजन पटरी से उतर गया था। इसके
अलावा भी कई घटनाएं पूर्व में हुई हैं।
ट्रेन के सिग्नल ओवरसूट होने का मामला गंभीर है।
इसके लिए जे-ग्रेड की जांच के लिए
अधिकारियों की टीम टूंडला के लिए रवाना कर
दी गई है। प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए रेल चालक
व सहायक चालक को सस्पेंड कर दिया गया। घटना में
कौन कहां दोषी है इसकी जे-ग्रेड की जांच के
पता चलेगा तथा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
संदीप माथुर
सीपीआरओ, उमरे इलाहाबाद
source - m.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/firozabad/Firozabad-72246-5/