जब तक धनबाद मण्डल को ECR से बहाल नहीं करेंगे, तब तक ऐसे होने वाले ही है। पता नहीं रेलवे विभाग को पटना के लिए इतना पसंद और धनबाद के लिए इतना नफरत (लेकिन धनबाद के पास कोयला सुरंग होने के बाबजूद और कोयला से ज्यादा कमाई) , पता नहीं इन रेलवे अफसरों के पास मन और बुद्धि में मिट्टी या गोबर भरा हुआ है। और दक्षिण भारत के लिए धनबाद - एलेपी , जसीडीह - वास्को दा गामा इलावा बैंगलोर के लिए कोई भी गाड़ी नहीं है। लेकिन दक्षिण के इलावा पटना से भर भर के चलते हैं भारत के अलग अलग भागों के लिए। अगर निशिकांत दुबे जैसे आदमी मिल जाए तो तब सुधरेगा धनबाद का रेलसेवा की मजबूरी।