गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे की लाइनों पर इलेक्टि्रक ट्रेन कब दौड़ेगी। यह आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। कार्य की प्रगति को देखकर तो नहीं लगता कि विद्युतीकरण का कार्य एक-दो साल में पूरा हो पाएगा। आलम यह है कि 3 साल में महज आधे कार्य ही पूरे हो पाए हैं, जबकि 2012 तक बाराबंकी से छपरा तक 424 किमी रेलवे लाइन का विद्युतीकरण हो जाना था। दोहरीकरण कार्य शुरू होने के बाद वर्ष 2008 में जब तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बाराबंकी से छपरा तक विद्युतीकरण की घोषणा की तो पूर्वाचल के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। सोचा, चलो ट्रेनों की लेटलतीफी से छुटकारा मिलेगा। पर, यह आस आज भी सपना जैसे लग रहा है। कार्य की शुरुआत तो अच्छी रही लेकिन इसकी रफ्तार ने लोगों को मायूस कर दिया है। विद्युतीकरण तो दूर अभी तो दोहरीकरण का कार्य ही पूरा नहीं हुआ। विभागीय सूत्रों की माने...
more... तो लखनऊ मंडल में बाराबंकी से गोण्डा तक करीब 30 किमी विद्युतीकरण कार्य पूरा होने के कगार पर है। गोण्डा से आगे बभनान स्टेशन के बीच भी कार्य ने इधर तेजी पकड़ी है। आशा जताई जा रही है कि मार्च 2012 तक इस रूट पर इलेक्टि्रक ट्रेन दौड़ने लगेगी। दूसरी तरफ वाराणसी मंडल में छपरा-सिवान-थाने के बीच कार्य पूरा हो चुका है। शेष रूट पर काम सवारी गाड़ी की तरह चल रहा है। अभी भी वायरिंग और पोल गाड़ने के कार्य लटके पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2008 में बाराबंकी से छपरा तक विद्युतीकरण कार्य की घोषणा हुई। 3 सितम्बर 2008 में कार्य शुरू भी हो गया। दोहरीकरण भी बना राह में रोड़ा : बाराबंकी-छपरा रूट पर चल रहा पैच डबलिंग का कार्य भी विद्युतीकरण की राह में रोड़ा बना हुआ है। दोहरीकरण के बाद बिजली के पोल गाड़ने और वायरिंग करने में आसानी होती है। ऐसे में जैसे-जैसे दोहरीकरण कार्य हो रहा है वैसे-वैसे विद्युतीकरण का कार्य भी तेजी पकड़ रहा है। विभागीय जानकारों की माने तो बाराबंकी से गोण्डा के बीच का विद्युतीकरण कार्य सिर्फ दोहरीकरण के चलते फंसा हुआ है। बाराबंकी से बुढ़वल के बीच अभी भी सिंगल लाइन है। ऐसे में इस रूट के विद्युतीकरण का कार्य रुका पड़ा है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि दिसम्बर माह तक दोहरीकरण का कार्य पूरा हो जाएगा। ऐसे में विद्युतीकरण कार्य मार्च तक पूरा होने की संभावना है। राह में और भी हैं रोड़े: विद्युतीकरण की राह में रोड़े ही रोड़े हैं। वाराणसी मंडल में छपरा-सिवान-थावे के बीच विद्युतीकरण का कार्य तो पूरा हो चुका है। पर, उसके आगे का कार्य लटका पड़ा है। कार्य में लापरवाही, घटिया काम और धीमी प्रगति को देखते हुए सेंट्रल आर्गनाइजेशन फार रेलवे इलेक्टि्रफिकेशन ने कार्य करने वाली कंपनी का कांट्रेक्ट ही निरस्त कर दिया है। अब दूसरे कांट्रेक्टर का इंतजार है। विभागीय सूत्रों की माने तो मार्च तक कार्य शुरू हो पाएगा। इस बीच फिर से निविदा जारी होगी और दूसरे कांट्रेक्टर को बाकी पड़े कार्य को पूरा करने के लिए नामित किया जाएगा। ऐसे में यह कार्य पूरा होते-होते सालों लग जाएंगे। हाइटगेज से बंध रही आस बाराबंकी से छपरा तक मेन लाइन पर पड़ने वाले क्रासिंग पर लग रहे हाइटगेज लोगों की आस बांधे हुए हैं। हाइटगेज को देखकर लोगों को लग रहा है कि इस रेलवे में विद्युतीकरण का कार्य चल रहा है। बता दें कि हाइटगेज लगाने का कार्य करीब 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। हाइटगेज क्रासिंग से होकर गुजरने वाले ओवर लोडेड ट्रक व अन्य ऊंची गाडि़यों को विद्युत तारों से बचाएगा। यह एक प्रकार का अवरोधक पोल है।