प्रिय मित्र सुमित जी - परमात्मा को धन्यवाद् की अब दीदी ठीक है -- सुमित जी मैंने आपके साथ ऐसा कुछ बहुत बड़ा काम नहीं कर दिया -में सिर्फ आपको फोन पर संपर्क करके सात्वना देता रहा -असल काम तो हमारे प्रिय जितेश भाई ने किया -सो जैसा की मीना आज आपको फोन पर भी कहा की दोस्त थंक्स की जरुरत नहीं है -यदि हमारी और होते और हम आपकी और होते और यदि इस तरह का वाकया आया होता तो आप भी वही करते जो हमने किया --बस यदि धन्यवाद् देना ही चाहते है तो शब्दों से मत दीजिये एक वचन दीजिये की आप भी हमेशा इसी तरह से काम करते रहे -एक छोटी से नीतिक कथा सुनाता हु आपको -यह कहानी मैंने १९८५-८६ में सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट ( हिंदी एडिशन ) में मैंने पढी थी -- की अमेरिका में किसी सुनसान मार्ग पर एक युवा दम्पति की कार का...
more... पेट्रोल ख़त्म हो गया और वो वहा परेशान हो गए -बहुत देर के बाद एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी कार से उधर से गुजर रहे थी वो वहा रुके और उनकी परेशानी जानी और उनको अपनी कार से ५ लीटर पेट्रोल भरकर दिया -युवा दम्पति ने उनको धन्यवाद् के साथ कुछ रकम देनी चाही इस बुजुर्ग ने रकम लेने से इनकार किया और वो पेट्रोल कें भी नहीं ली और कहा की यदि देना ही है तो यह वचन दो की जब कभी इसी तरह से किसी व्यक्ति को मुसीबत में फंसा हुआ देखो तो बिना किसी लोभ लालच के उसकी मदद करना और ऐसा ही उस युवा दम्पति ने किया और यह चैन (श्रंखला ) इसी तरह से अमेरिका देश में अपनाई जा रही है और यही उस देश की समृधि और सफलता का राज भी है -- तो मित्रो कहने का मतलब यह है की इस स्टोरी में कितनी सच्चाई थी यह में नहीं जानता लेकिन कही ना कही मानवता है इंसानी जज्बा है जिसका उपयोग कर हम इस समाज में जीवन निर्वाह करते है -चुब्की अभी आपको ऑनलाइन देखा इस लाइन यह कहानी यहाँ लिख दी -- यह लेख कुछ ज्यादा बड़ा हो गया है सो क्षमा करना ---