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=>खुद चिपक जाती है यहाँ रेल पटरियां, वैज्ञानिकों के लिए आज भी है यह अनसुलझी पहेली
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झारखंड के हजारीबाग से बरकाकाना...
more... रेल रूट के पास बसा एक गांव है लोहरियाटांड. यहाँ से गुजरने वाली रेल लाइन पर एक प्राकृतिक चमत्कार होता है. इस गांव में रेल पटरियों की विचित्र गतिविधियों ने गाँव के लोगों के साथ रेल अधिकारियों और विज्ञान के लोगों को भी हैरत में डाल दिया है. यहाँ रोज सुबह 8 बजे से रेल पटरियां अपने आप मुड़ती हुई आपस में मिलने लगती हैं. दोपहर के मध्य तक यह पटरियां चिपक जाती हैं. स्वत: दोपहर 3 बजे बाद यह पटरियां अलग होने लगती हैं. वैज्ञानिक इस अजीबोगरीब घटना के रहस्य से पर्दा हटाने में लगे हैं और दूसरी ओर ग्रामीण इसे ईश्वर शक्ति मान रहे हैं और पूज-पाठ कर रहे हैं.