गोरखपुर। आशीष श्रीवास्तवपीपीगंज के रहने वाले देवेन्द्र कुमार बीते पांच महीने से अपने बच्चे की फीस जमा नहीं कर सके हैं। वहीं जंगल कौड़िया के राधेश्याम अपनी पत्नी की पथरी का ऑपरेशन नहीं करा पा रहे हैं। देवेन्द्र और राधेश्याम की तरह एनई रेलवे के करीब 250 हाल्ट अभिकर्ता (टिकट विक्रेता) ऐसे ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। इनके घरों का चूल्हा पैसेंजर ट्रेनों से चलता था, जो बीते 10 महीने से बंद हैं। तभी से ये बेरोजगार हैं। इनके सामने अब रोजी-रोटी का भी संकट आ गया है। कोरोना महामारी से मिले दर्द से लोग अभी तक पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। जिनकी रोजी छिन गई, ऐसे तमाम लोग कोई नया जरिया ढूंढ नहीं पाए हैं। कुछ लोग सब कुछ सामान्य होने की बस बाट जोह रहे हैं। एनईआर के हाल्ट अभिकर्ता पैसेंजर ट्रेनों की बहाली के इंतजार में जीवन से संघर्ष कर रहे हैं।
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more... टे्रनों के सहारे अपनी अजीविका चलाने वाले एनई रेलवे के करीब 250 हाल्ट अभिकर्ता पैसेंजर ट्रेनों के संचालन पररोक और जनरल टिकट न बिकने से घर बैठे हुए हैं। अभिकर्ता देवेन्द्र ने बताया कि फीस जमा न होने बच्चे की ऑनलाइन क्लास भी स्कूल प्रबंधन से बंद कर दी है। राशन का भी संकट आ गया है। ऐसे ही चलता रहा तो सभी को दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ेगी। देवेन्द्र ने बताया कि कुछ तो परिवार चलाने के लिए मजदूरी कर रहे हैं। उनमें से कोई स्नातक तो कोई परास्नातक डिग्रीधारक है।
महीने में पांच से छह हजार तक हो जाती थी आय
अभिकर्ता हाल्ट स्टेशनों पर महीने में पांच से छह हजार रुपये तक कमा लेते थे। इससे कम से कम उनकी अजीविका चल जाती थी लेकिन काम बंद होने से सभी बीते 10 महीने से बेरोजगार बैठे हुए हैं। ये रोज स्टेशन पहुंचते हैं। स्टेशन मास्टर से टिकट काउंटर खुलने के बारे में पूछते हैं। कुछ स्पष्ट जवाब न मिलने पर मायूस होकर लौट जाते हैं।
500 रुपये देने का था वादा, वह भी नहीं मिला
महावन खोर हाल्ट के अभिकर्ता प्रमोद मिश्र ने बताया कि रेल के अनुबंध में स्पष्ट लिखा है कि किन्ही कारणों से लम्बे समय तक रेल संचालन ठप होने पर 500 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दिया जाएगा। लेकिन एक महीने भी भत्ता नहीं दिया गया।
यूटीएस टिकटिंग बंद होने से यूटीएस काउंटर बंद है। जैसे ही बुकिंग शुरू होगी, सभी काउंटर दोबारा से शुरू हो जाएंगे।
पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ